अहमदाबाद विमान हादसा

अहमदाबाद विमान हादसा: रमेश विश्वास कुमार की जीवटता की कहानी

✈️ अहमदाबाद विमान हादसा: मौत के मंज़र में ज़िंदगी की एक किरण — रमेश विश्वास कुमार की कहानी

12 जून 2025, दोपहर का समय। गर्मी अपने चरम पर थी, और एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हो चुकी थी।

पर किसी को क्या पता था कि यह उड़ान कई परिवारों के लिए हमेशा का दर्द बनने वाली थी...

💥 टेकऑफ़ के 30 सेकेंड बाद... मौत का तांडव

टेकऑफ़ के कुछ ही सेकंड बाद विमान ने तकनीकी खराबी के कारण संतुलन खो दिया। देखते ही देखते, यह शहर के बीचों-बीच स्थित B.J. मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की इमारत से जा टकराया।

अहमदाबाद विमान हादसा स्थल

दुर्घटनाग्रस्त विमान का मलबा (स्रोत: एएनआई)

धुएं का गुबार, चीखें, और फिर एक सन्नाटा... 269 लोगों की जान चली गई। लेकिन उसी मलबे से एक धड़कती हुई साँस निकली — रमेश विश्वास कुमार

🙏 एक ज़िंदा उम्मीद – रमेश विश्वास कुमार

40 वर्षीय रमेश, मूल रूप से दीव के रहने वाले हैं लेकिन पिछले 20 वर्षों से लंदन में रहते थे। वे अपने भाई अजय के साथ भारत से लंदन लौट रहे थे। फ्लाइट में उनकी सीट 11A (इमरजेंसी विंडो सीट) थी।

रमेश विश्वास कुमार अस्पताल में

रमेश विश्वास कुमार अस्पताल में इलाजरत (स्रोत: पीटीआई)

जब विमान गिरा, रमेश ने अपने भाई का हाथ पकड़ रखा था। पर जब होश आया — चारों ओर सिर्फ़ मलबा था... और उनका भाई गायब।

🏥 अस्पताल में इलाज नहीं, ज़ख़्मों की मरम्मत

रमेश को अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। उन्हें पोस्ट-ट्रॉमैटिक एम्नेसिया है — यानी हादसे की पूरी याद नहीं। पर जब भी कोई बताता है कि वो अकेले बचे हैं... उनकी आँखें भर आती हैं।

🧠 "मुझे क्यों बचाया भगवान ने?"

रमेश कहते हैं: "मैंने आँखें खोलीं तो चारों तरफ़ मौत थी। मुझे यकीन नहीं हुआ कि मैं ज़िंदा हूँ। क्या मेरा समय नहीं आया था? या शायद ऊपरवाले ने कोई मकसद बाकी रखा है?"

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🤝 ज़िम्मेदारियाँ और संवेदनाएँ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्पताल में रमेश से मुलाकात की। ब्रिटिश हाई कमीशन और DGCA जाँच में जुटे हैं। ब्लैक बॉक्स मिल चुका है, जिससे घटना का कारण पता चल सकेगा।

💔 “अजय अब नहीं है...”

रमेश का सबसे दर्दनाक सवाल: "अगर मैं बच गया... तो अजय क्यों नहीं?" यह दर्द शायद हमेशा रहेगा।

🧾 निष्कर्ष: जीवन की नाज़ुकता

रमेश की कहानी चमत्कार नहीं — इंसानी जिजीविषा का प्रतीक है। जहाँ मौत ने शिकंजा कसा, वहाँ एक आदमी — टूटा पर अडिग — खड़ा रहा।

🙏 हम रमेश जी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। यह हादसा हमें याद दिलाता है: ज़िंदगी एक पल में बदल सकती है। अपनों को आज ही गले लगाइए।

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